लाभार्थी के घर पहुॅंचे हर योजना का लाभ
प्रधानमंत्री का सपना है कि योजना का लाभ लाभार्थी के घर तक पहुॅंचे। सरकार श्रमिक के बुढ़ापे की लाठी बनना चाहती है। श्रमिक के हाथ – पॉंव काम करना बंद कर दें, तो उसका जीवनयापन चलता रहे। इस संबंध में जागरण की ये रिपोर्ट पढ़ें:
जागरण : झाँसी : विधायक रवि शर्मा ने कहा कि प्रधानमन्त्री का सपना है कि योजनाओं का लाभ लाभार्थी के घर तक पहुँचे। सरकार श्रमिक के बुढ़ापे की लाठी बनना चाहती है। श्रमिक के हाथ-पाँव काम करना बन्द कर दें, तो उसका जीवनयापन चलता रहे। इसी सोच के साथ प्रधानमन्त्री श्रमयोगी मानधन योजना तथा प्रधानमन्त्री लघु व्यापारी मानधन योजना को लागू किया है। वह बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय स्थित सभागार में प्रधानमन्त्री श्रमयोगी मानधन पेंशन योजना, नैशनल पेंशन योजना तथा श्रम विभाग की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र व स्वीकृति पत्र प्रदान कर रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मण्डलायुक्त सुभाष चन्द्र शर्मा ने कहा कि श्रमिक अपनी आदतों में बदलाव लाते हुए बचत करें, ताकि अंशदान जमा किया जा सके। उन्होंने कहा कि योजना का मुख्य उद्देश्य श्रमिक आड़े समय में अपनी मदद स्वयं कर सकें। श्रमिक अपनी बचत को बैंक में जमा करेंगे, उतनी ही राशि सरकार खाते में जमा करेगी। 18 वर्ष के लाभार्थी को प्रतिमाह 55 रुपये व 40 वर्ष के लाभार्थी को 200 रुपये 60 वर्ष की आयु तक जमा करना है। 60 वर्ष पूर्ण होने के बाद 3 ह़जार रुपए पेंशन के रूप में खाते में जमा होंगे। इस दौरान मृत्यु व विकलांगता सहायता योजना, कन्या विवाह अनुदान योजना, मातृत्व एवं शिशु हित लाभ योजना, बालिका मदद योजना, चिकित्सा सुविधा योजना के 29 लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र व स्वीकृति पत्र वितरित किये गये। साथ ही योजनाओं के प्रचार वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। इस अवसर पर श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए कैम्प आयोजित किया गया। डॉ. नीति शास्त्री ने संचालन व उप श्रमायुक्त नदीम अहमद ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम मे मुख्य विकास अधिकारी निखिल फुण्डे, एडी सेवायोजन देवेश त्रिपाठी, अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्ता, श्रम प्रवर्तन अधिकारी आशीष कुमार अवस्थी, नीलम विश्वकर्मा, व्यापारी नेता संजय पटवारी, किसान नेता गौरीशंकर बिदुआ आदि उपस्थित रहे।
श्रमिक देश की जीडीपी का आधा हिस्सा
कार्यक्रम के प्रारम्भ में केन्द्रीय श्रम व रोजगार मन्त्री सन्तोष गंगवार ने वीडियो-कॉन्फरेसिंग के जरिए लाभार्थियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि योजना के पंजीयन तथा जनजागरण के लिए 30 नवम्बर से 6 दिसम्बर तक पेंशन सप्ताह मनाया जा रहा है। असंगठित श्रमिक देश की जीडीपी में 50 प्रतिशत का हिस्सा है, उनके जीवन में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
एड्स को रोकने में जागरूकता जरूरी
0 बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में संगोष्ठी में एड्स के खतरों पर चर्चा
झाँसी : बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में आज एड्स के कारण, लक्षण व निदान को लेकर चर्चा की गयी। वक्ताओं ने कहा कि जागरूकता से ही लोगों को इसके खतरे से आगाह किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय के जनसंचार व पत्रकारिता संस्थान में आयोजित सेमिनार में समन्वयक डॉ. कौशल त्रिपाठी ने एड्स के खतरों से विद्यार्थियों को आगाह करते हुए कहा कि दुनिया भर में इसके इलाज के तौर-तरीकों पर अनेक शोध कार्य चल रहे हैं। शिक्षक उमेश शुक्ल ने कहा कि सतर्कता व जागरूकता से ही समाज को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सकता है। अभिषेक कुमार ने बताया कि अधिक थकान का अनुभव, लगातार बुखार, सिरदर्द, मिचली आना और भोजन से अरुचि पैदा होना एड्स के लक्षण माने जाते हैं। इस दौरान संस्थान के पूर्व प्रमुख डॉ. सीपी पैन्यूली, जय सिंह, सतीश साहनी, डॉ. उमेश कुमार आदि उपस्थित रहे।
इधर, एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई पंचम और षष्ठम द्वारा आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम ने कहा कि एड्स हमारी उदासीनता का परिणाम है। कभी संक्रमित सुई का प्रयोग हो जाता है, तो कभी नाई के यहाँ बाल कटवाते समय प्रयोग में लाई गई ब्लेड का। कभी असुरक्षित यौन सम्बन्ध के कारण, तो कभी किसी और वजह से। यदि हम अपने परिवार एवं मित्रों से इस बारे में जानकारी साझा करें, तो इससे आसानी से बचा जा सकता है। इस दौरान कार्यक्रम अधिकारी डॉ. उमेश कुमार ने करगुवाँजी में किए गए सर्वेक्षण को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के समन्वयक डॉ. मुन्ना तिवारी ने कहा कि एड्स से सावधानी में ही बचाव है। विशिष्ठ अतिथि पत्रकारिता विभाग के समन्वयक डॉ. कौशल त्रिपाठी रहे। इस अवसर पर अनमोल दुबे, पंजाब सिंह यादव, राहुल, निकिता गुप्ता, बृजगोपाल, पुष्पराज आदि उपस्थित रहे। अमन नायक व शाश्वत सिंह ने आभार व्यक्त किया।
स्रोत: जागरण