राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना बच्चों के लिए हो रही वरदान साबित
इस योजना से गंभीर बीमारी से लड़ रहे बच्चों को नया जीवन मिलता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना में बच्चों में होने वाली जन्मजात बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसके लिए बच्चे को आंगनवाड़ी और सरकारी स्कूल में रजिस्टर्ड होना चाहिए। इस संबंध में जागरण की ये रिपोर्ट पढ़ें:
जागरण : जागरण संवाददाता, अंबाला शहर:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना में गंभीर बीमारी से जूझ रहने बच्चों को नया जीवन मिलता है। इसमें हर साल करीब 45 बच्चों का जन्मजात विकार से ग्रस्त बीमारी का मुफ्त इलाज किया जाता है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों को बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पताल में इलाज की शुरुआत की है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने पांच अस्पतालों को पैनल में लिया है। यहां पर जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना में बच्चों में होने वाली जन्मजात बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसके लिए बच्चा आंगनवाड़ी और सरकारी स्कूल में रजिस्टर्ड होना चाहिए। इस योजना में आंगनवाड़ी में छह साल तक के बच्चे और सरकारी स्कूल में 18 साल तक के बच्चे को इलाज का लाभ मिलेगा। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल हेल्थ टीम बच्चों की स्क्रीनिग कर बीमारी का पता करती है। इसमें बच्चों में दिल में छेद की बीमारी, पैर टेढे, होट व तालू कटा, आंखों में तिरछापन, सफेद मोतिया, रैटीनौपैथी, व्यवाहर में बदलाव समेत 40 बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसके लिए बच्चों का पीजीआई चड़ीगढ़ में चिकित्सक बीमारी का पता करता है, और खर्च का आंकलन भी करते हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग पैनल वाले अस्पताल में बच्चे को भेज दिया जाता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने फोर्टिस हॉस्पिटल, अट्रिम हॉस्पिटल, ओआरजी हॉस्पिटल, एशियन हॉस्पिटल को पैनल में रखा गया है। यहां पर बच्चे की बीमारी का इलाज हो जाता है।
बच्चे के परिजनों की इच्छा के हिसाब से अस्पताल में इलाज के लिए बच्चे को इलाज के लिए भर्ती करा दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो 2017-18 में 43, 2018-19 में 41 और वर्ष 2019-20 में 36 बच्चों का इलाज किया गया है। विभाग की माने तो इसमें दिल में छेद की बीमारी वाले बच्चे ज्यादा रहे हैं। इस तरह से मिलता है इलाज
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना में बच्चे का इलाज फ्री किया जाता है। इसके लिए छह साल तक का बच्चा आंगनवाड़ी में रजिस्ट्रर्ड होना चाहिए। वहीं सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चे के लिए प्रधानाचार्या अपने पत्र पर लिखकर देगा। यह बच्चा स्कूल में कितने समय से पढ़ रहा है। इसके बाद बच्चे के इलाज की फाइल विभाग में जमा होगी। इसके बाद बच्चे को इलाज का लाभ मिलेगा। —————
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना में हर साल लाभ उठाने वाले बच्चों का ग्राफ बढ़ रहा है।
डा. बेला शर्मा, डिप्टी सिविल सर्जन, स्वास्थ्य विभाग
स्रोत : जागरण