नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से विस्तार लेगा दूरस्थ शिक्षा का फलक


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राष्ट्रीय शिक्षा नीति से विस्तार लेगा दूरस्थ शिक्षा का फलक

केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दूरस्थ शिक्षा में भी बहुत लाभदायक साबित होगा। में विद्यार्थियों को सरल माध्यमों से उपयोगी शिक्षा प्रदान करना है। पहली बार भारतीय उच्च शिक्षा आयोग व राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन जैसी नियामक संस्थाओं को गठित किया गया है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। 
इस शिक्षा नीति के तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रम, अकादमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना, चार वर्षीय अनुसंधान, प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग व स्टार्टअप पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। इस शिक्षा नीति में ऑनलाइन पढ़ाई पर भी जोड़ दिया गया है। इस कारण दूरस्थ शिक्षा बहुत फायदेमंद होंगे। इस सम्बन्ध में और अधिक विस्तार से जानने के लिए जागरण के इस रिपोर्ट को पढ़ें:
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स्रोत: जागरण देहरादून, जेएनएन। National Education Policy 2020 प्रो. ओपीएस नेगी (कुलपति उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय) का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दूरस्थ शिक्षा को जो अधिमान मिला है, उससे आने वाला समय दूरस्थ शिक्षा से जुड़े छात्रों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। नई शिक्षा नीति के मूल में विद्यार्थियों को सरल माध्यमों से उपयोगी शिक्षा प्रदान करना है। पहली बार भारतीय उच्च शिक्षा आयोग व राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन जैसी नियामक संस्थाओं को गठित किया गया है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का फोकस व्यावसायिक पाठ्यक्रम, अकादमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना, चार वर्षीय अनुसंधान, प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग व स्टार्टअप पर किया गया है। यह ऐसे कारक हैं, जिन पर पूरी शिक्षा व्यवस्था टिकी है। केंद्र सरकार की ओर से घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मानदंडों के अनुरूप शिक्षा उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में पहले ही शुरू हो चुकी है।
अब ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति उत्तराखंड मुक्त विवि के छात्रों के कौशल विकास में निश्चित ही सहायक सिद्ध होगी। पहली बार देश में संपूर्ण शिक्षा नीति बनी है, जिसमें सबको सब कुछ जानने के सिद्धांत को अंगीकृत किया गया है। 
शिक्षा नीति में इंजीनियरिंग संस्थान में कला व मानविकी जैसे विषयों की पढ़ाई को भी शुरू करने की योजना है। इससे साफ है कि नई शिक्षा नीति का फलक बहुत बड़ा है। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता, डिजीटल साक्षरता, व्यावसायिक कौशल, ऑनलाइन शिक्षा, भारतीय भाषाओं, कला व संस्कृति के संवर्धन आदि को शामिल किया गया है। प्रौद्योगिकी के उपयोग और एकीकरण के लिए भी यह शिक्षा नीति कार्य करेगी। राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना करने के पीछे दक्ष युवाओं को विज्ञान के विकास से जोड़ने का ध्येय है।
इस नीति में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा स्तरों पर व्यापक परिवर्तन किए जाने के लिए योजना बनाई गई है। आने वाले दस सालों के भीतर स्कूली शिक्षा में शत प्रतिशत लक्ष्य रखा गया है। क्षेत्रीय परिवेश में शिक्षा ग्रहण करना बच्चों के लिए आसान, सुलभ व सहज हो जाएगा। इससे छात्र-छात्राएं स्कूल जाने के लिए उत्सुक होंगे। इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दूरस्थ शिक्षा को छात्रों के बहुत नजदीक ले जाने में सहायक होगी।
स्रोत : जागरण

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