केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा फसल बीमा योजना में होगा अहम् बदलाव
केन्द्रीय पशुधन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्यमंत्री डॉ संजीव बाल्यान ने सोमवार को विशेष वार्ता दिया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ अति महत्वपूर्ण बदलाव होने वाला है जो किसानो के लिए बहुत फायदेमंद होगा. मंत्री ने कहा कि योजना को वैकल्पिक बनाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है. ऐसा होने पर किसानो को फसल का बीमा कराने और नहीं कराने का विकल्प मिलेगा. इस सम्बन्ध में जागरण के इस खास रिपोर्ट को पढ़ें:
जागरण: पानीपत/करनाल, [पवन शर्मा]। केंद्र सरकार जल्द ही किसानों को बड़ी राहत देने जा रही है। इसके तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अहम बदलाव किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिसमूह योजना को वैकल्पिक बनाने पर बारीकी से विचार-विमर्श कर रहा है। ऐसा होने पर किसानों को फसल का बीमा कराने या नहीं कराने का विकल्प मिलेगा।
ये संकेत केंद्रीय पशुधन, डेयरी व मत्स्य पालन राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने सोमवार को यहां विशेष वार्ता में दिए। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार किसानों के हित में तमाम जरूरी कदम उठा रही है। इसके तहत पीएम फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव संभव है। इस पर चर्चा के लिए हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिसमूह की बैठक में डॉ. बालियान भी मौजूद रहे।
उन्होंने बताया कि कृषिप्रधान राज्य होने के नाते हरियाणा सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान व गुजरात सहित पूरे देश के किसानों को इससे खासी राहत मिलेगी। योजना वैकल्पिक होने पर कोई किसान फसल बीमा नहीं कराना चाहेगा तो उसके पास यह विकल्प होगा। जबकि अभी तक यह अनिवार्य है। यानि, कोई किसान क्रेडिट कार्ड प्रणाली के तहत अपनी फसलों के लिए किसी प्रकार का ऋण लेता है तो उसके लिए बीमा कराना अनिवार्य होता है। तमाम कारणों से इस नियम को लेकर सरकारों तक शिकायतें पहुंचती हैं। ज्यादातर किसानों का कहना है कि बैंक और बीमा कंपनियां अक्सर ऐसे मामलों में उन्हें बिना बताए ही बीमे की रकम ले लेती हैं लेकिन, योजना में बीमे का नियम वैकल्पिक बनाने पर उन्हें खासी राहत मिलेगी।
इन राज्यों में सर्वाधिक बीमा
पीएमएफबीवाई के तहत राजस्थान, महाराष्ट्र व गुजरात सरीखे राज्यों के किसान सबसे अधिक बीमा कराते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दरअसल, इन राज्यों के विभिन्न इलाकों में अक्सर खराब मौसम या आपदा आने के कारण फसल बर्बाद होने की घटनाएं बहुत ज्यादा होती हैं। ऐसे में किसान बीमे की रकम से ही नुकसान की भरपाई करते हैं।
स्रोत: जागरण