बिना भूमि के और बिना पट्टेधारियों को दे दिया गया पीएम आवास योजना का लाभ
मध्य प्रदेश के बालाघाट में नगर परिषद् के जिम्मेदार अधिकारी 25 ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे दिए जिनके पास जमीन नहीं है और ना ही पट्टेधारी हैं. यह आवास किसी और के जमीन पर बनाया जा रहा है. इस खबर को और अधिक विस्तार से पढने के लिए नई दुनिया के इस रिपोर्ट को पढ़ें:
नई दुनिया: कटंगी। नईदुनिया न्यूज।
नगर परिषद कटंगी के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने 25 लोगों को बिना भूमि और बिना पट्टेधारियों होने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है। जिससे हितग्राही आवास का निर्माण दूसरे की जमीन पर करवा रहे है। इस मामले की शिकायत ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विजय शर्मा ने कटंगी प्रवास पर आए जिले के प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटले और एसडीएम पीके सेन गुप्ता को शिकायत करते हुए जांच की मांग की है।
नगर परिषद कटंगी में वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना से 1100 स्वीकृत हुए है। इनमें से 575 प्रधानमंत्री आवास अब तक पूर्ण हो चुकी है और इसमें अन्य आवासों का निर्माण कार्य जारी है। पीएम आवास बनाने के लिए एक हितग्राहियों को 2 लाख 50 हजार रुपए की राशि शासन से प्रदाय की जाती है। लेकिन इसमें 25 ऐसे लोग है जिनके पास आवास बनाने के लिए न तो भूमि है और नहीं पट्टे है। उसके बाद भी मिलीभगत करते हुए दूसरे लोगों की भूमि पर आवास बनाने के लिए पीएम आवास स्वीकृत करवा दिया गया। इनमें कई लोग भी है जो इस योजना में नहीं आते है।
अपने रिश्तेदारों को दिलाया लाभ : ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विजय शर्मा ने बताया कि जिले प्रभारी मंत्री व एसडीएम को शिकायत में बताया कि शासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों को आवास योजना प्रारंभ की गई है। जिसमें नगर परिषद कटंगी के जिम्मेदारों ने महत्वाकांक्षी योजना को शुरू से ही पलीता लगाया है। निर्वाचित पार्षदों ने जो उनके अपने थे रिश्तेदार थे उन्हें इस योजना का लाभ दिलाया है जो नियमों का सरासर उल्लंघन है। नगरवासियों द्वारा योजना का लाभ लेने नगर परिषद को आवेदन दिया था। उनसे भी पार्षदों द्वारा 5 हजार से लेकर 10 हजार में सौदा करके हितग्राही को प्रथम किस्त मिलने पर उससे बैंक में ही वसूली की गई। इस योजना का लाभ परिषद के निर्वाचित पार्षद, अध्यक्ष, कर्मचारी इसका लाभ प्राप्त नहीं कर सकते है। लेकिन यहां 1 से 2 पार्षदों को छोड़कर सभी पार्षदों ने इसका लाभ लिया है। यदि दस्तावेजों के अवलोकन व जांच उपरांत स्थिति साफ हो जाएगी।
रजिस्ट्री शुल्क की चोरी : एक ही परिवार के सदस्यों को 100 रुपए के स्टांप पेपर पर परिवार के मुखिया से सहमति लिखकर कई परिवारों की उसे 3 से 4 आवास मंजूर किया गया है और हितग्राहियों ने अपने 2 आवासों का निर्माण भी कर लिया है। जबकि परिवार का मुखिया यदि अपनी मर्जी से हक त्याग करता है या संपती का बंटवारा करता है तो उसे पंजीयन कार्यालय से रजिस्ट्री करवाना पड़ता है यह नियम है बगैर रजिस्ट्री के बंटवारा नगर परिषद के जिम्मेदार लोगों द्वारा की गई कार्रवाई से शासन को लाखों रुपए की रजिस्ट्री शुल्क की चोरी की है और इन लोगों ने शासन को लाखों का नुकसान पहुंचाया गया है।
स्रोत: नयी दुनिया