पंजाब में प्रधानमंत्री आवास योजना का 90 फीसदी आवेदन रद्द
पंजाब में गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिलने का सपना टूट गया, क्योकि बैंक ने 90 फीसदी आवेदन को रद्द कर दिया है. इस मामले में पंजाब सरकार के वित्त सचिव ने बैठक कर के इस मसले का हल निकालने को कहा. इस खबर को विस्तार से पढने के लिए अमर उजाला का ये रिपोर्ट पढ़ें:
अमर उजाला: पंजाब में कार्यरत सरकारी बैंकों ने गरीब लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिलने का सपना धराशाही कर दिया है। बैंकों ने इस योजना से संबंधित करीब 90 फीसदी आवेदन रद्द कर दिए हैं। यह खुलासा मंगलवार को स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) पंजाब की तिमाही समीक्षा बैठक के दौरान हुआ। बैठक में पंजाब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर सवाल खड़े करते हुए एसएलबीसी से इसका जवाब मांगा।
बैठक में मौजूद पंजाब वित्त विभाग के प्रिंसिपल सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने इस मामले को उठाया। वहीं बैठक में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने भी कहा कि ऐसे लगता है कि आवेदन थैले में रखे हुए ही रद्द हो गए। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि फाइलों पर रेड टेप की प्रथा खत्म हो जाए, तभी अच्छा होगा। पंजाब में बैंकों ने 1,02,000 गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान हासिल कर लेने का सपना तोड़ दिया है।
बैंकों ने केवल 202 आवेदन ही मंजूर किए, बाकी सारे आवेदन रद्द कर दिए गए हैं। अनिरुद्ध तिवारी ने निदेशक स्थानीय सरकार से कहा कि वे बैंकों के साथ बैठक करके इस मामले का हल निकालें ताकि गरीबों को मकान मिल सकें।
उन्होंने एसएलबीसी की बैठक के दौरान बैंकों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। हालांकि एसएलबीसी के पदाधिकारियों द्वारा बैठक में भरोसा दिलाया गया कि इस मामले का हल जल्द किया जाएगा। बैंकों के अधिकारी जल्द ही स्थानीय सरकार विभाग के निदेशक के साथ बैठक करेंगे।
सरकार और बैंकर्स मिलकर निकालेंगे हल: मनप्रीत
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बैंकों द्वारा 90 फीसदी आवेदन रद्द कर दिए जाने के मामले पर वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि बैंकर्स की ओर से जांच कमेटी गठित की गई है। इसके अलावा राज्य सरकार और बैंकर्स भी मिल बैठकर इस मामले पर विचार करेंगे।
उन्होंने कहा कि आवेदन रद होने को लेकर अब तक यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री आवास योजना एक शहरी हाउसिंग स्कीम है जबकि पंजाब में बैंकों के बाद इस योजना के तहत पहुंचे अधिकांश आवेदन ग्रामीण इलाकों के लिए थे। फिर भी, सरकार और बैंकर्स इसका कोई हल निकालेंगे। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि अगर आवेदन रद्द किए जाने थे तो उन्हें तुरंत ही कर दिया जाना चाहिए था। आवेदकों से बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगवाना सही नहीं है।
स्रोत: अमर उजाला