प्रधानमंत्री जी का देश के नाम संबोधन : 20 अक्टूबर 2020
आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के नाम संबोधन करते हुए कहा कि लोगों को देख रहा हूँ कि वे अनलॉक की प्रक्रिया को देश को कोरोना से मुक्त समझ रहे हैं और बिना किसी मास्क और सामाजिक दूरी को अपनाते हुए घूम रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए मैं देशवासियों से यह अपील करना चाहता हूँ कि कोरोना अभी गया नही है. इसलिए जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं.
उन्होंने कबीर साहेब के एक दोहे का उदाहरण देते हुए कहा पकी खेती देखिके, गरब किया किसान। अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान। अर्थात, कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया। लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए। यही कबीरदास जी कहकर गए हैं। यानि जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
इसी से हमें सीख लेते हुए हमें अभी बिल्कुल लापरवाही नहीं करना चाहिए. इस बात पर प्रधानमंत्री जी ने लोगों से करबद्ध प्रार्थना की, कि आपलोग लापरवाही न बरतें और कोरोना को हराने में हमारी मदद करें. लेकिन साथ-साथ अनेक प्रकार की चेनावनियाँ भी हैं जैसे रामचरितमानस में बहुत बड़ी बात कही गई है। रिपु रुज पावक पाप, प्रभु अहि गनिअ न छोट करि। अर्थात, आग, शत्रु, पाप यानि कि गलती और बीमारी, इन्हें कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। जब तक इनका पूरा इलाज न हो जाए, इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसलिए याद रखिए, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। त्योहारों का समय हमारे जीवन में खुशियों का समय है, उल्लास का समय है।
Prime Minister’s Office
Text of PM’s address to the nation
20 OCT 2020
मेरे प्यारे देशवासियों !
नमस्कार !
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जनता कर्फ्यू से लेकर आज तक हम सभी भारतवासियों ने बहुत लंबा सफर तय किया है। समय के साथ आर्थिक गतिविधियां में भी धीरे-धीरे तेजी नजर आर रही है। हम में से अधिकांश लोग, अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए, फिर से जीवन को गति देने के लिए, रोज घरों से बाहर निकल रहे हैं। त्योहारों के इस मौसम में बाजारों में भी रौनक धीरे-धीरे लौट रही है। लेकिन हमें ये भूलना नहीं है कि लॉकडाउन भले चला गया हो, वायरस नहीं गया है। बीते 7-8 महीनों में, प्रत्येक भारतीय के प्रयास से, भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में हैं, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है, और अधिक सुधार करना है।
आज देश में रिकवरी रेट अच्छी है, Fatality Rate कम है। भारत में जहां प्रति दस लाख जनसंख्या पर करीब 5500 लोगों को कोरोना हुआ है, वहीं अमेरिका और ब्राज़ील जैसे देशों में ये आंकड़ा 25 हजार के करीब है। भारत में प्रति दस लाख लोगों में मृत्युदर 83 (तिरासी) है, जबकि अमेरिका, ब्राज़ील, स्पेन, ब्रिटेन जैसे अनेक देशों में ये आंकड़ा 600 के पार है। दुनिया के साधन-संपन्न देशों की तुलना में भारत अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों का जीवन बचाने में सफल हो रहा है। आज हमारे देश में कोरोना मरीजों के लिए 90 लाख से ज्यादा बेड्स की सुविधा उपलब्ध है। 12,000 Quarantine Centres हैं। कोरोना टेस्टिंग की करीब 2000 लैब्स काम रही हैं। देश में टेस्ट की संख्या जल्द ही 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी। कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में टेस्ट की बढ़ती संख्या हमारी एक बड़ी ताकत रही है।
सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलते हुए हमारे doctors, हमारे nurses हमारे health workers हमारे सुरक्षाकर्मी और भी सेवाभाव से काम करनेवाले लोग इतनी बड़ी आबादी की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। इन सभी प्रयासों के बीच, ये समय लापरवाह होने का नहीं है। ये समय ये मान लेने का नहीं है कि कोरोना चला गया, या फिर अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है। हाल के दिनों में हम सबने बहुत सी तस्वीरें, वीडियो देखे हैं जिनमें साफ दिखता है कि कई लोगों ने अब सावधानी बरतना या तो बंद कर दिया है, या बहुत ढिलाई ले आए हैं। ये बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर आप लापरवाही बरत रहे हैं, बिना मास्क के बाहर निकल रहे हैं, तो आप अपने आप को, अपने परिवार को, अपने परिवार के बच्चों को, बुजुर्गों को उतने ही बड़े संकट में डाल रहे हैं। आप ध्यान रखिए, आज अमेरिका हो, या फिर यूरोप के दूसरे देश, इन देशों में कोरोना के मामले कम हो रहे थे, लेकिन अचानक से फिर से बढ़ने लगे और चिन्ताजनक वृद्धि हो रही है।
साथियों, संत कबीरदास जी ने कहा है-पकी खेती देखिके, गरब किया किसान। अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान। अर्थात, कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया। लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए। यही कबीरदास जी कहकर गए हैं। यानि जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
साथियों, जब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं आ जाती, हमें कोरोना से अपनी लड़ाई को रत्तीभर भी कमजोर नहीं पड़ने देना है। बरसों बाद हम ऐसा होता देख रहे हैं कि मानवता को बचाने के लिए युद्धस्तर पर पूरी दुनिया में काम हो रहा है। अनेक देश इसके लिए काम कर रहे हैं। हमारे देश के वैज्ञानिक भी vaccine के लिए जी-जान से जुटे हैं। भारत में अभी कोरोना की कई वैक्सीन्स पर काम चल रहा है। इनमें से कुछ एडवान्स स्टेज पर हैं। आशास्वत स्थिति दिखती है।
साथियों, कोरोना की vaccine जब भी आएगी, वो जल्द से जल्द प्रत्येक भारतीय तक कैसे पहुंचे इसके लिए भी सरकार की तैयारी जारी है। एक-एक नागरिक तक vaccine पहुंचे, इसके लिए तेजी से काम हो रहा है। साथियों, रामचरित मानस में रामचरितमानस में बहुत ही शिक्षाप्रद बाते हैं, सीखने जैसी बाते हैं। लेकिन साथ-साथ अनेक प्रकार की चेनावनियाँ भी हैं जैसे रामचरितमानस में बहुत बड़ी बात कही गई है। रिपु रुज पावक पाप, प्रभु अहि गनिअ न छोट करि। अर्थात, आग, शत्रु, पाप यानि कि गलती और बीमारी, इन्हें कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। जब तक इनका पूरा इलाज न हो जाए, इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसलिए याद रखिए, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। त्योहारों का समय हमारे जीवन में खुशियों का समय है, उल्लास का समय है।
एक कठिन समय से निकलकर हम आगे बढ़ रहे हैं, थोड़ी सी लापरवाही हमारी गति को रोक सकती है, हमारी खुशियों को धूमिल कर सकती है। जीवन की ज़िम्मेदारियों को निभाना और सतर्कता ये दोनो साथ साथ चलेंगे तभी जीवन में ख़ुशियाँ बनी रहेंगी। दो गज की दूरी, समय-समय पर साबुन से हाथ धुलना और मास्क लगाना इसका ध्यान रखिए। और मैं आप सबसे करबद्ध प्रार्थना करना हूँ आपको मैं सरक्षित देखना चाहता हूँ, आपके परिवार को सुखी देखना चाहता हूँ। ये त्योहार आपके जीवन में उत्साह और उमंग बढ़े ऐसा वातावरण चाहता हूँ और इसलिए मैं बार-बार हर देशवासी से आग्रह करता हूँ।
मैं आज अपने मीडिया के साथियों से भी, सोशल मिडिया में जो सक्रिय हैं उन लोगों से भी बड़े आग्रह से कहना चाहता हूँ कि आप जागरूकता लाने के लिए इन नियमों का पालन करने के लिए जितना जन जागरण अभियान करेंगे ये आपकी तरफ से देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। आप जरूर हमें साथ दीजिए, देश के कोटि-कोटि जनों को साथ दीजिए। मेरे प्यारे देशवासियों स्वस्थ्य रहिए, तेज गति से आगे बढ़िए और हम सब मिलकर के देश को आगे बढ़ाए। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ नवरात्र, दशहरा, ईद, दिपावली, छठ पूजा, गुरूनानक जयंती समेत सभी त्योहारों की सभी देशवासियों को एक बार फिर से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
धन्यवाद!
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स्रोत: PIB