पात्र-अपात्र के फेर में उलझ गई प्रधानमंत्री आवास योजना

पात्र-अपात्र के फेर में उलझ गई प्रधानमंत्री आवास योजना

उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों का चयन करने में जमकर मनमानी की जा रही है, कभी रकम बांटने के बाद उन्हें अपात्र घोषित कर दिया जाता है और फिर उसे फिर से पात्र की सूची में जोड़ने के लिए टीम बनाई जाती है. इस सभी को देखकर तो यही लगता है कि वहां पर इस योजना को एक खेल बना दिया गया है. इस खबर को और अधिक विस्तार से पढने के लिए अमर उजाला की ये रिपोर्ट पढ़ें:
अमर उजालाजिले में प्रधानमंत्री आवास योजना पात्र और अपात्र के फेर में उलझकर रह गई है। लाभार्थियों के चयन में जमकर मनमानी की जा रही है। ग्रामीण इलाकों में आवास की रकम बांटने के बाद 321 लाभार्थियों को अपात्र घोषित कर दिया गया। इससे करोड़ों रुपये फंसे हुए हैं। शहरी इलाकों में पात्रता सूची में शामिल 2413 लाभार्थियों को अपात्र बताकर बाहर कर दिया गया। अब उन लोगों को शामिल करने के लिए फिर से टीम बनाई गई है।
वर्ष 2022 तक बेघर लोगों को पक्का मकान मुहैया कराने की सरकार की मुहिम में अफसर ही बाधक बने हुए हैं। शहरी और ग्रामीण इलाकों में लाभार्थियों का चयन ठीक ढंग से नहीं होने से पूरी योजना पात्र, अपात्र में उलझकर रह गई है। जनपद स्तर पर गठित टीम एक बार जिस लाभार्थी को पात्र बताती है, वहीं दूसरी टीम अपात्र बनाकर बाहर कर देती है। इसका खामियाजा लाभार्थी और निचले कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।

ग्रामीण इलाकों में 321 लाभार्थी ऐसे हैं, जिन्हें अपात्र बताकर रकम की रिकवरी की जा रही है। इन लाभार्थियों को ऐसे समय अपात्र घोषित किया गया, जब इन्हें दो-दो किस्त का भुगतान कर दिया गया और आवास निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया। इस वर्ष भी 13,456 लाभार्थियों का चयन करने का लक्ष्य है, मगर अधिकारी अभी तक चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं।
शहरी इलाकों में भी इससे भी खराब स्थिति है। विभागीय अफसरों की जांच में पहले 2413 लाभार्थी पात्र मिले, मगर दूसरी टीम जब जांच करने पहुंची तो 4858 को पात्र मानते हुए 2413 को पात्रता सूची से बाहर कर दिया। गरीबों की आवाज जब नेताओं तक पहुंची तो शासन के फरमान पर अब एक बार फिर पात्रता की जांच के लिए टीम बना दी गई है।
सवाल यह उठता है कि पात्रता के मानक पर खरे उतरने वाले लाभार्थियों का जब एक बार चयन कर लिया जाता है तो उन्हें अपात्र कैसे ठहराया जा सकता है और जब अपात्र घोषित हो चुके हैं तो उन्हें पात्रता की सूची में कैसे शामिल किया जा सकता है।
ग्रामीण इलाकों में पहले से तैयार है प्रतीक्षा सूची
ग्रामीण इलाकों में आवास के लिए पहले से ही प्रतीक्षा सूची तैयार है। लक्ष्य मुताबिक ब्लाकों से लाभार्थियों का चयन करके मुख्यालय भेजी जाती है। मगर शहरी इलाकों में कोई प्रतीक्षा सूची नहीं है। योजना प्रारंभ होते ही लाभार्थियों से आवेदन मांगे गए और सत्यापन के दौरान ही पात्र, अपात्र का चयन किया गया।
प्रधानों की गुटबाजी के चलते पात्रों को नहीं मिलता लाभ

प्रधानमंत्री आवास के पात्रों का चयन करने का अधिकार ग्राम पंचायतों को है। प्रतीक्षा सूची में शामिल लोगों को प्रधान अपात्र बताकर प्रस्ताव ही नहीं भेजते हैं, जबकि अपने करीबियों को आवास दिलाने के लिए वह पात्रों का गला घोंट देते हैं। विभागीय अधिकारी भी उन्हीं की आंख से देखते हैं। इसलिए गांव के वास्तविक व्यक्ति को आवास नहीं मिल पा रहा है।
49,785 छूटे हुए लोगों ने ठोंका है दावा
ग्रामीण इलाकों में 49,785 लाभार्थी ऐेसे हैं, जिन्होंने प्रतीक्षा सूची में नाम डलवाने के लिए आवेदन किया है। इसमें से अधिकांश लोगों का आरोप है कि प्रधान ने गुटबाजी के चलते उन लोगों का नाम छोड़ दिया है। हालांकि अफसरों ने इन लोगों की सूची तैयार कर ली है, अगले वर्ष इन लोगों को आवास मिलने की संभावना है।
शहर के 4858 लाभार्थियों को मिलेगा आवास
नगरपालिका परिषद और टाउन एरिया के 4858 लाभार्थियों को पहले चरण में आवास के लिए चिह्नित किया गया है। इसमें से 425 लाभार्थी ऐसे हैं, जिन्हें तीनों किस्तों का भुगतान कर दिया गया है। जबकि 2210 लाभार्थियों को दूसरी किस्त का भुगतान किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री आवास का लाभ उन्हीं लोगों को मिले, जो वास्तविक हकदार हैं। योजना के लिए चयनित करने के बाद टीम की जांच में जो अपात्र मिले हैं, उनसे रिकवरी की कार्रवाई की जा रही है। शहर और गांव के उन सभी लोगों को आवास दिया जाना है, जिनके पास स्वयं का मकान नहीं है। कच्चे मकान में रहने वालों को प्राथमिकता से योजना में शामिल किया जा रहा है। छूटे हुए लोगों का चयन करने के लिए टीम बनाई गई है। जल्द ही लाभार्थियों का चयन करके धनराशि उनके खाते में भेजी जाएगी। धीरेंद्र प्रताप सिंह, सीडीओ

स्रोत: अमर उजाला

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