संबल योजना के तहत पंजीकृत 70 हजार से अधिक श्रमिक अपात्र

संबल योजना के तहत पंजीकृत 70 हजार से अधिक श्रमिक अपात्र

मध्य प्रदेश में जब भाजपा के सरकार थी तब असंगठित श्रमिकों के लाभ के लिए सरकार ने संबल योजना की शुरुवात की जिसके तहत कई श्रमिकों को लाभ मिलना शुरू हो गया, लेकिन जब सत्ता बदली तो इस योजना का नाम बदल कर नया सवेरा कर दिया गया. इस योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों का जब सत्यापन हुआ तो 70 हजार 940 श्रमिक अपात्र पाए गए. इन सबों को इस योजना का लाभ अब नहीं मिल पायेगा. इस सम्बन्ध में और विस्तार से जानने के लिए दैनिक भास्कर की ये रिपोर्ट पढ़ें:
दैनिक भास्करशिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई संबल व कमलनाथ सरकार की नया सवेरा योजना में दर्ज श्रमिकों का जब सत्यापन कराया तो कई चौंकाने वाले आकड़े सामने आए।
जिले की चारों जनपद व नगर पालिका व नगर परिषद में पंजीकृत श्रमिकों का सत्यापन हुआ तो 70 हजार 940 श्रमिक अपात्र हो गए। इन श्रमिकों को शासन की योजना का कोई लाभ नहीं मिलेगा। अनुचित लाभ लेने के लिए पंजीयन कराने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई होगी इसका निर्णय अभी विभाग ने नहीं लिया है।
पूर्व की भाजपा सरकार ने श्रमिकों के हित को ध्यान में रखते हुए संबल योजना शुरू की थी। इसमें केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ असंगठित श्रमिकों को मिल रहा था, लेकिन जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो सत्ता के साथ ही योजना संबल की जगह नया सवेरा बन गई। नई सरकार ने दर्ज श्रमिकों का सत्यापन कराने का निर्णय लिया हालांकि अभी 5 हजार 39 श्रमिकों का सत्यापन होना बाकी है लेकिन जो सत्यापन हुआ है वह भी चौंकाने वाला है।
घर-घर जाकर किया सत्यापन – संबल योजना से जुड़े श्रमिकों का सत्यापन करीब 4 माह पहले शुरू हुआ था। जिन संस्थाओं में पंजीयन हुआ था उन संस्थाओं के कर्मचारियों ने घर-घर जा कर श्रमिकों के बारे में जानकारी ली। इसके बाद छंटनी हुई। इसमें सत्यापन के दौरान सामने आया कि कई युवक जो बेरोजगार हैं उन्होंने अपने आपको श्रमिक बताकर पंजीयन करा लिया तो किसी के पास एक हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की कई कर्मचारियों के परिजनों ने भी लाभ लेने के लिए पंजीयन करा लिया। कुछ संपन्न लोग तथा गृहणियां भी पंजीयन कराने में पीछे नहीं रही।
मात्र 1 लाख 62 हजार 242 ही पात्र
जनपद पंचायत आगर में 11 हजार 220 तो सुसनेर में 15 हजार 295, नलखेड़ा में 11 हजार 117 व सबसे अधिक 22 हजार 662 लोग अपात्र हुए। जबकि नगर पालिका क्षेत्र आगर में 2 हजार 435, सुसनेर 996, नलखेड़ा में सबसे ज्यादा 2 हजार 80, सोयतकलां 1370, बड़ौद 585, कानड़ 115 और बड़ागांव में 75 अपात्र हुए। पूरे जिले में अपात्रों की संख्या 70 हजार 940 है जबकि सबसे अधिक जनपद पंचायत आगर में 41 हजार 641 पात्र श्रमिक पाए गए। सुसनेर में 39 हजार 96, नलखेड़ा में 35 हजार 941 व बड़ौद में 20 हजार 171 तथा नगर पालिका आगर में 6 हजार 981 श्रमिक पात्र पाएं गए। कुल 2 लाख 33 हजार 142 में से 5 हजार 39 श्रमिकों का सत्यापन अभी होना बाकी हैं लेकिन 70 हजार श्रमिकों के अपात्र होने से यह तो पता चलता ही है कि लोगों ने योजना का बेजा लाभ उठाने के लिए ही यह पंजीयन कराया था।
कार्रवाई के निर्देश नहीं मिले
संबल योजना व कर्मकार मंडल के तहत पंजीकृत श्रमिकों का काम अंतिम चरण में है। तीन-चार दिन में पूरा हो जाएगा। कई लोग अपात्र निकले हैं जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिलेगा। अपात्रों पर कोई कार्रवाई के निर्देश अभी तक नहीं मिले है। सत्यापन करके उन्हें बाहर निकालना था वह कार्य पूरा हो चुका है। – के.बी. मिश्रा, प्रभारी श्रम अधिकारी आगर मालवा।

इस कारण हुए अपात्र

सत्यापन के लिए जब कर्मचारी पहुंचे तो पता चला कि पति या पत्नी में से कोई एक सरकारी नौकरी में है। व्यक्ति प्राइवेट नौकरी करता है लेकिन जीपीएफ, ईपीएफ की कटौती होती है। कई छात्र ऐसे थे जो पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन पंजीयन करा लिया। तो कुछ लोगों ने जो पता दिया था उस पर मिले ही नहीं। जमीन या संपत्ति के संबंध में जानकारी जो दी गई थी उससे अधिक मिली।

स्रोत: दैनिक भास्कर

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