झाबुआ के लिए नई पेयजल योजना बनी, जिससे 5 गॉंव को मिलेगा लाभ

झाबुआ के लिए नई पेयजल योजना बनी, जिससे 5 गॉंव को मिलेगा लाभ

पेयजल योजना के लिए 8 करोड़ 35 लाख 17 हजार की योजना को शासन ने स्वीकृति दे दी है। इसी एक बैराज से शहर को सालभर पानी सप्लाई हो जाएगा। इस संबंध में दैनिक भास्कर की ये रिपोर्ट पढ़ें:
दैनिक भास्कर : धमोई तालाब से अब पारा सहित आसपास के 5 गांवों को पेयजल मिलेगा। योजना पर काम साल 2020 में शुरू हो सकता है। पूरा अगले साल तक हो जाएगा।
पारा को यहां से पानी देने की मांग वर्षों से की जा रही है, लेकिन धमोई तालाब का पानी झाबुआ शहर में पेयजल वितरण के लिए रिजर्व होने से ये नहीं हो पा रहा था। अब झाबुआ के लिए अलग पेयजल योजना में बामनसेमलिया में नया बड़ा बैराज बन चुका है। इसी एक बैराज से शहर को सालभर पानी सप्लाई हो जाएगा। इसलिए धमोई तालाब से पारा और आसपास के गांवों को पानी दिया जाएगा। 8 करोड़ 35 लाख 17 हजार की योजना को शासन ने स्वीकृति दे दी है। योजना में पारा, रातीमाली, कनकीझूमका, पीथनपुर, धमोई गांव को पानी मिलेगा।
झाबुआ की पेयजल योजना के लिए 30 करोड़ में बना बैराज। इसके बाद धमोई से पारा और दूसरे गांवों में पानी दिया जा सकेगा।
पाइपलाइन से ही गांवों में कनेक्टिविटी दी जाएगी
पारा से धमोई की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। यहां तक पाइपलाइन डलेगी। रास्ते में इस पाइपलाइन से ही गांवों में कनेक्टिविटी दी जाएगी। पारा में कम से कम एक और बाकी गांवों में जरूरत के हिसाब से टंकी बनाई जाएगी। इस योजना से 8 हजार से ज्यादा लोगों को साफ पानी मिल पाएगा।
नया बड़ा बैराज बनने के कारण हुआ ये संभव
साल 1975-76 में झाबुआ की अभी की पेयजल योजना बनी थी। ये 15 हजार की आबादी के हिसाब की थी। किशनपुरी में अनास नदी पर छोटा बैराज बना था। 1985 के आसपास धमोई में सिंचाई के लिए ये तालाब बना था। झाबुआ की आबादी बढ़ने पर बैराज का पानी कम पड़ने लगा तो धमोई से साल में 5-6 बार पानी लेने लगे। अब शहर के लिए 30 करोड़ का नया बड़ा बैराज बन गया। ये माही के बाद जिले का सबसे बड़ा बैराज है। कुल योजना 47 करोड़ की है। काम आखिरी चरण में है। इस साल जल वितरण शुरू हो सकता है। ऐसे में धमोई में बचने वाले इस पानी से इन गांवों को पेयजल दिया जाएगा।
कुछ दिनों में सर्वे शुरू कर देगा जल संसाधन विभाग
पारा को धमोई से पानी देने का वादा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किया था। सरकार बनने के बाद से इसे लेकर निर्णय लेने का दबाव भी था। पेटलावद विधानसभा क्षेत्र में पेटलावद के बाद पारा सबसे बड़ा गांव है। ऐसे में नेताओं और जनप्रतिनिधियों को बार-बार इस सवाल का सामना यहां करना पड़ता था। यही वजह रही कि विधायक से लेकर दूसरे नेताओं ने इसे लेकर बार-बार सरकार से बात की। मुख्यमंत्री तक बात भेजी गई। प्रभारी मंत्री से फॉलोअप लिया। आखिरकार 4 जनवरी को इसे लेकर स्वीकृति दे दी गई। जल संसाधन विभाग इसका सर्वे कुछ दिनों में शुरू कर देगा।
विधायक वालसिंह मेड़ा ने बताया, योजना को स्वीकृति दिलाने में प्रभारी मंत्री सुरेंद्रसिंह हनी बघेल, कांतिलाल भूरिया, विक्रांत भूरिया, प्रकाश रांका, राकेश कटारा, नीलेश कटारा, केमता डामोर, सलेल पठान सहित कई लोगों ने भूमिका निभाई।

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