रेलवे में निजी क्षेत्र की एंट्री आसान बनाने का तैयार हो सकता है खाका
रेलवे को निजीकरण करने के लिए निजी क्षेत्र के आगमन को लेकर होने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिए उपयुक्त योजना का खाका तैयार हो सकता है, इसके विषय में तैयारी शुरू हो चुकी है. इस सम्बन्ध में जागरण की इस रिपोर्ट को पढ़ें:
जागरण: नई दिल्ली, संजय सिंह। रेलवे में निजी क्षेत्र की भागीदारी को इस बार के बजट से नया आयाम मिलने की संभावना है। इसके तहत निजी क्षेत्र की मदद से पचास स्टेशनो के आधुनिकरण के अलावा सौ रूटों पर डेढ़ सौ प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए रेलवे एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। जबकि इसके साथ रेल कारखानो के निगमीकरण की योजना का ऐलान भी किया जा सकता है।
बजट में निवेश बढ़ाने पर हो सकता है फोकस
बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर फोकस रहने की आशा है। जिसके लिए वित्तमंत्री निजी क्षेत्र को सुविधाओं और रियायतों की नई सौगात दे सकती हैं। जहां तक रेलवे का प्रश्न है तो चालू वर्ष में संरक्षा के मोर्चे पर ऐतिहासिक कामयाबी हासिल करने के बाद अब रेलवे का सारा ध्यान यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने के साथ यात्री घाटे को न्यूनतम स्तर पर लाने पर है। इसके लिए निजी क्षेत्र को साथ लिया जाएगा और उसे स्टेशनों तथा ट्रेनों के संचालन, प्रबंधन और रखरखाव में ज्यादा से ज्यादा अवसर देकर लागतों में कमी की जाएगी।
सौ रूटों पर 150 निजी ट्रेनों का संचालन का प्रस्ताव
पिछले बजट में इन योजनाओं की झलक दी गई थी। जबकि इस बजट में उन्हें मुकाम तक पहुंचाने की रूपरेखा पेश की जाएगी। जिसमें सौ रूटों पर 150 निजी ट्रेनों का संचालन तथा स्टेशन पुनर्विकास योजना के तहत पचास स्टेशनों का प्राथमिकता के आधार पर विकास के प्रमुख प्रस्ताव होंगे। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूटों पर ट्रेनो की औसत रफ्तार को बढ़ाकर 130 किलोमीटर करने के लिए ट्रैक एवं सिगनल प्रणाली के आधुनिकीकरण का भी बजट में जिक्र रहेगा। सुरक्षा के मोर्चे पर 150 स्टेशनों को इंटीग्रेटेड सुरक्षा के दायरे में लाने तथा उन्हें चेहरा पहचानने में सक्षम आइपी बेस्ड सीसीटीवी कैमरा प्रणाली से लैस करने की संशोधित योजना भी बजट में पेश की जा सकती है।
राजस्व बढ़ाने के उपायों की चर्चा
रेलवे के किराये बजट से पहले ही बढ़ाए जा चुके हैं। इसलिए बजट में किरायों से इतर राजस्व बढ़ाने के उपायों की चर्चा हो सकती है। इसमें ‘कंटेट ऑन डिमांड’ स्कीम का खास तौर पर ऐलान संभव है। इस सुविधा के जरिए ट्रेन यात्रियों को पामटॉप पर अपनी पसंद के वीडियो और आडियो प्रोग्राम देखने-सुनने का मौका मिलेगा। इसमें यात्रियों से कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। जबकि कंटेट प्रोवाइडर कंपनी विज्ञापनों से पैसा कमाकर उसका कुछ हिस्सा रेलवे को देगी।
44 नई रेक के उत्पादन के लिए भी अतिरिक्त पैसे की दरकार
इस बार सरकार पर ट्रैक नवीकरण, नई लाइनों, दोहरीकरण, आमान परिवर्तन तथा विद्युतीकरण परियोजनाओं, चौकीदार वाली क्रासिंगों पर ओवरब्रिज/अंडरब्रिज बनाने का दबाव है। साथ ही वंदे भारत प्रोजेक्ट के तहत 44 नई रेक के उत्पादन के लिए भी अतिरिक्त पैसों की दरकार है। इसलिए पिछले बजट के 1.63 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले योजना के आकार को बढ़ाकर 1.80 लाख करोड़ तक किया जा सकता है।
स्रोत: जागरण