धनतेरस पर पीएम आवास योजना के लाभार्थियों को गिफ्ट, बढ़ा सब्सिडी का बजट, जानें कैसे मिलेगा फायदा
धनतेरस के मौके पर वित्त मंत्रालय ने कई सारे राहत पैकेज का एलान किया, इस राहत पैकेज में एक अति महत्वपूर्ण घोषणा बेघर लोगों के लिए भी था. जो लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपना घर खरीदना चाहते हैं उनके लिए सरकार ने एक बड़ा गिफ्ट दिया है. सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत दिए जाने वाले सब्सिडी का बजट बढाते हुए 18,000 करोड़ रूपये बढाने का एलान किया है. इससे घरों के निर्माण में भी तेजी आएगी और इससे कई नौकरियों का भी सृजन होगा.
जनसत्ता: धनतेरस के मौके पर केंद्र सरकार ने अपना आवास खरीदने की चाहत रखने वाले लोगों को बड़ा गिफ्ट दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पीएम आवास योजना के तहत सब्सिडी के बजट को 18,000 करोड़ रुपये बढ़ाने का ऐलान किया है। इसके तहत 8,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम पहले ही जारी की जा चुकी है। यह राहत केवल 2 करोड़ तक की आवासीय इकाईयों के लिए है। इसके अलावा यह लाभ केवल 30 जून 2021 तक खरीदी गई आवासीय इकाइयों के लिए उपलब्ध है। बता दें कि सरकार पीएम आवास योजना के तहत लिए गए लोन पर 2.35 लाख रुपये से 2.70 लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज सब्सिडी देती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत सब्सिडी का बजट बढ़ाने से घरों के निर्माण में तेजी आएगी। इससे 78 लाख नौकरियों सृजन होगा और स्टील, सीमेंट के उत्पादन और ब्रिकी में सुधार होगा। इससे अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। यदि आप अपना पहला घर खरीद रहे हैं तो पीएम आवास योजना की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के तहत छूट मिलती है। इसके अलावा यदि आपके माता—पिता के नाम पहले से घर है और अब आप अपने नाम पर एक नया घर खरीदना चाहते हैं, तब भी आप इस स्कीम का लाभ ले सकते हैं।
हालांकि अपने ही नाम पर पहले से घर मौजूद होने पर आपको यह बेनिफिट नहीं मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घर खरीददारों और डिवलपर्स को सर्कल रेट से 20 प्रतिशत नीचे तक की खरीद या बिक्री के लिए टैक्स पर राहत की घोषणा की है। ऐसी डील्स पर डिवेलपर को इनकम टैक्स भी नहीं देना होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आवासीय इकाईयों की कीमतों में गिरावट आई है। इसके चलते विभिन्न क्षेत्रों में जमीन की कीमतें सर्किल रेट से भी कम हो गई हैं। खासतौर पर बिल्डर्स प्रोजेक्ट्स में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे डेवलपर्स को कीमतें नीचे लाने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है।
रियल एस्टेट क्षेत्र में आर्थिक मंदी और तनाव को देखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि कुछ स्थानों पर वास्तविक संपत्ति की कीमतें सर्कल दरों से कम हो सकती हैं। लेकिन वर्तमान में जब कोई संपत्ति सर्कल रेट से नीचे बेची जाती है तो होमबॉयर्स के साथ—साथ विक्रेता को इस पर अतिरिक्त टैक्स देना होता है।
स्रोत: जनसत्ता