कसौली के लिए 24.5 करोड़ की पेयजल योजना को नाबार्ड से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद

कसौली  के लिए 24.5 करोड़ की पेयजल योजना को नाबार्ड से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के कसौली क्षेत्र एक लम्बे अरसे से पेयजल समस्या से जूझ रहा है. इस समस्या को दूर करने के लिए उठाऊ पेयजल योजना की शुरुवात की गयी है तथा अब उम्मीद है कि नाबार्ड से 24.5 करोड़ रूपये की सहायता भी मिल जाए. इस सम्बन्ध में दैनिक भास्कर की ये रिपोर्ट पढ़ें:
दैनिक भास्कर: सोलन. प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार सोलन जिले का कसौली क्षेत्र लंबे समय से पेयजल समस्या से जूझ रहा है और इस सबसे बड़ी समस्या के निदान के लिए बनी उठाऊ पेयजल योजना को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। आईपीएच विभाग की ओर से कसौली के लिए कालुझिंडा से उठाऊ पेयजल योजना को 24.50 करोड़ रुपए की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) नाबार्ड को भेजी गई है।
इस योजना के सिरे चढ़ने से कसौली क्षेत्र के 10 हजार से ज्यादा स्थानीय लोगों काे सीधा लाभ मिलेगा। इसके साथ ही पर्यटन व्यवसायियों को भी फायदा होगा। यहां हर साल लाखों की संख्या में घूमने के लिए पर्यटन देश-विदेश से आते हैं।
कसौली में पेयजल संकट नया नहीं है बल्कि दशकों से चल रहा है। यहां के लिए कोई बड़ी पेयजल योजना नहीं होने के कारण लोगों को पानी सप्लाई का जिम्मा संभालने वाला कसौली छावनी बोर्ड बाहर से पानी मंगा रहा है। जो पानी लोगों को सप्लाई हो रहा है वह डिमांड के अनुसार पर्याप्त नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आईपीएच विभाग ने कसौली के लिए कालुझिंडा से पानी लाने की योजना बनाई।
कसौली छावनी में रहने वाले लोग लंबे समय से पानी की समस्या को लेकर कई बार प्रदेश और केंद्र सरकार को लिखित में अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या का निदान नहीं हो पाया है। यहां पानी की आपूर्ति का जिम्मा कसौली छावनी बोर्ड संभाल रहा है। लोगों की डिमांड के अनुसार पानी उपलब्धता न होने के कारण छावनी बोर्ड बाहर पानी लाकर सप्लाई करता है।
कसौली में ऐतिहासिक कसौली केंद्रीय अनुसंधान संस्थान भी स्थापित है। संस्थान को रोजाना लाखों लीटर पानी की जरूरत रहती है। संस्थान आज भी कसौली में प्राकृतिक जलस्रोत न होने के कारण अपने उत्पादन के लिए बाहर से पानी की खरीद कर रहा है।

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